रोज नींद की दवा खा रहे हैं तो जान लें उनके साइड इफ़ेक्ट के बारे में पूरी जानकारी 

रोज नींद की दवा खा रहे हैं तो जान लें उनके साइड इफ़ेक्ट के बारे में पूरी जानकारी 

रोहित पाल

जब भी किसी को किसी भी प्रकार की परेशानी के कारण नींद नहीं आती है तो उसे नींद न आने की समस्या का सबसे आसान हल दिखता है स्लीपिंग पिल्स यानी नींद की दवा लेना। जबकि यह न तो किसी भी तरीके से सही है और न ही आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है।

स्लीपिंग पिल्‍स लेना कुछ समय के लिए आपकी समस्या का हल हो सकता है। लेकिन इन्हें लेने से पहले इनके बारे में पूरी जानकारी होना भी जरूरी है। ज्यादातर नींद की गोलियों को सेडेटिव हिपनॉटिक्स के रूप में जाना जाता है। यानी नींद को सम्मोहित करने वाले तत्वों का मिश्रण। यह दवाइयों या ड्रग्स की दुनिया में एक अलग कैटिगरी है, जिसका उपयोग नींद को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए किया जाता है। इन सेडेटिव हिपनॉटिक्स में बेंजोडायजेपाइन, बार्बिटूरेट्स और विभिन्न हिपनॉटिक्स शामिल होते हैं। बेंजोडायजेपाइन के सेवन से व्यक्ति को उनींदापन यानी हर समय ड्राउजीनेस फील होती है।      

नींद की गोलियां लेने से समस्या

नींद की गोलियां लेना कुछ समय के लिए जरूर आपको लाभदायक लग सकता है लेकिन इनके अधिक इस्तेमाल से यादाश्त पर असर और अटेंशन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर्स भी ऐसी दवाइयां लंबे ट्रीटमेंट के लिए नहीं देते हैं। ऐसा इन दवाइयों में मौजूद बार्बिटूरेट्स के कारण होता है। कम या लंबे समय तक प्रभावी रहनेवाले बार्बिटूरेट्स सेडेटिव्स को स्लिपिंग पिल्स के रूप में दिया जाता है। लेकिन आमतौर पर ये हाइपनोटिक ड्रग्स बहुत सीमित मात्रा में दिए जाते हैं। बिल्कुल एनीस्थिसिया की तरह। इनकी ओवर डोज बेहद घातक हो सकती है।

1- अधिक समय तक स्लिपिंग पिल्स लेने से हाथ की हथेलियों में जलन या कंपन्न महसूस हो सकता है। सिर्फ हथेलियों में नहीं ऐसी दिक्कत हाथों, पैरों या तलुओं में भी महसूस हो सकती है।

2- भूख अनियमित हो सकती है। पेट खराब रह सकता है या कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कई बार डायरिया का कारण भी ये दवाइयां बन जाती हैं।

4- लंबे समय तक नींद की गोलियां लेने से शरीर पर नियंत्रण कई बार अचानक खो जाता है। ऐसे लोगों को लगातार नींद आने जैसा अहसास होता रहता है।

5- गला सूखना, गैस बनना, सिर में दर्द रहना, सीने में जलन होना, यादाश्त पर कम या ज्यादा असर होना, पेट में दर्द या मरोड़ होना, शरीर के किसी हिस्से में कंपन्न होना और उस पर नियंत्रण ना कर पाना। कमजोरी महसूस होना और बेकार के सपने आते रहना।

 

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